Emotional short story in Hindi

मुस्कान भरी ज़िद

मुस्कान नाम के साथ-साथ उसकी मुस्कान भी प्यारी थी एक और चीज थी जो मुस्कान को अलग बनाती थी वह है उसकी जिद लोगों ने देखा तो इसकी बाहरी खूबसूरती उससे भी ज्यादा खूबसूरत वह अंदर से थी जो किसी ने नहीं देखा लोगों ने पसंद किया उसकी खूबसूरती को उसके अंदर के टैलेंट को किसी ने देखा ही नहीं पूछा ही नहीं आईए कहानी में पढ़ते हैं मुस्कान के बारे में कैसे उसने समाज के पिछड़ी सोच को पीछे छोड़ा और आगे बढ़ी।

मुस्कान जो दिखने में पतली दुबली लंबी खूबसूरत सी लड़की जिसके लंबे-लंबे बाल थे आंखें बिल्कुल हिरनी के जैसी जैसे स्वर्ग से उतरी अप्सरा हो पढ़ने में भी बहुत होशियार थी स्कॉलरशिप से पढ़ाई पूरी की थी कॉलेज खत्म होने वाले थे मुस्कान के परिवार वाले काफी गरीब थे बस उनका गुजर बसर हो रहा था मुस्कान का बस एक ही सपना था कि वह पढ़ाई पूरी करके एक अच्छी सी नौकरी करें और अपने परिवार को इस गरीबी के दलदल से बाहर निकाले एक वही है उसके परिवार में जो यह कर सकता है।

कॉलेज खत्म होने के बाद वह नौकरी करना चाहती थी कॉलेज का लास्ट साल था मम्मी पापा की जिद करने पर वह अपने रिश्तेदार के शादी में गई हुई थी पता नहीं कैसे राहुल की नजर उस पर परी पहली नजर में राहुल मुस्कान को पसंद करने लगा और यह बात उसे पता ही नहीं चली।

कुछ दिनों बाद उसका रिश्ता राहुल के घर से आया घर परिवार अच्छा था लड़का पैसे वाला था और अच्छी नौकरी भी थी पर दहेज की भी डिमांड थी उसके घर वाले मान गए क्योंकि उन्हें ऐसा लगा कि ऐसा रिश्ता फिर नहीं मिलेगा दहेज ले रहे हैं तो क्या हुआ लड़के वाले पैसे वाले है उनकी बेटी वहां राज करेगी।मुस्कान से किसी ने नहीं पूछा कि वह क्या चाहती है उसे यह रिश्ता पसंद है या नहीं उसे लड़का पसंद है या नहीं सब अपनी राय दे रहे थे उसके पिता ने कहा रही बात दहेज की तो मैं अपने खेत के कुछ हिस्से को बेच दूंगा दहेज तो देना पड़ेगा रिश्ता जो इतना अच्छा है मेरी बेटी को किसी चीज की कमी नहीं होगी वहां।

यह बात मुस्कान को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी लड़का पढ़ा लिखा है तो मैं भी तो पढ़ी लिखी हूं मुझ में भी तो सारे गुण है पढ़ाई पूरी होने के बाद मैं भी नौकरी करूंगी तो फिर दहेज किस बात की यही सवाल उसने अपनी पिता और मां से कहा दोनों हंस पड़े और कहने लगे तुम अभी नहीं समझोगी कुछ बातें सिर्फ किताबों में ही अच्छी लगती है असल जिंदगी में नहीं।

मुस्कान के कॉलेज का रिजल्ट आया वह पूरी यूनिवर्सिटी में टॉप की थी पर किसी को कोई फर्क हीं नहीं पड़ा सभी लोग व्यस्त थे शादी की तैयारी में दोनों की शादी हो गई मुस्कान को यकीन था राहुल उसकी भावनाओं को समझेगा उसे आजादी देगा अपने करियर को चुनने के लिए नौकरी करने के लिए।

शादी के कुछ महीने बाद उसने अपने पति से नौकरी करने की इच्छा बताई राहुल फॉरन उसे मना कर दिया तुम नौकरी करके क्या करोगी? खाने के लाले पर है क्या? हमारे घर में जो तुम नौकरी करोगी सब कुछ है हमारे घर में मैं कमा रहा हूं ना फिर तुम्हें कमाने की क्या जरूरत किस चीज की कमी दे रहा हूं मैं कमा रहा हूं उससे हमारा गुजारा नहीं हो रहा है क्या जो तुम काम करोगी बोलकर चला गया

यह कुछ लाइन मुझे पूरी तरह से झंझोर दिया मैं ऊपर से नीचे तक सुन पर गई यह मेरे साथ क्या हो गया क्या सोचा था क्या हुआ इस सोच के साथ मैं कैसे जिऊंगी एक-एक पल भारी सा लग रहा था मानो हर चीज बेजान हो गई हो।

कहने को तो बड़ा घर पैसे वाले लोग और काम भी उतना ही सारा दिन काम कर करके मैं थक जाया करती थी हर रोज सोचती थी अपने लिए कुछ वक्त निकालूंगी पर ऐसा नहीं होता मेरे अंदर कुछ और चल रहा था और बाहर कुछ और मैं क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा था समय भी नहीं मिल रहा था यह घर के काम कहने को तो घर का ही काम है फटाफट कर लो पर ऐसा हो नहीं पता एक काम पूरा करो तो 10 काम इंतजार करते हैं एक को खुश करो तो परिवार के दूसरे लोग नाराज हो जाते हैं किस-किस को खुश रखु और यहां मेरी खुशी का तो किसी को ख्याल ही नहीं मैं भी इंसान हूं मुझे भी जीने का हक है मेरी खुशी के बारे में कोई सोचता ही नहीं है कुछ कपड़े दे दो कुछ गहने दे दो बस इन लोगों को लगता है यही मेरी खुशी है यही एक औरत की खुशी है पर ऐसा नहीं है हर इंसान अलग-अलग है सभी की खुशी भी अलग-अलग है तो सोच सब के बारे में एक ही क्यों?

घर का बेल बजा जैसे ही मैंने दरवाजा खोला मेरे सामने एक पतली दुबली सी लड़की जो मुझे बोली मैं घर का काम करती हूं। पीछे से मेरी सांस आई और कहा कौन हो तुम उसने जवाब दिया मैडम मुझे घर में काम मिलेगा क्या? मैं घर के सारे काम कर दूंगी। कोई शिकायत नहीं करूंगी इतना सुनना था मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था अगर यह घर पर आ जाए काम करने के लिए तो मुझे कुछ समय मिल जाएगा खुद के लिए बस मैं ऊपर वाले से यही प्रार्थना कर रही थी यह काम पर आ जाए होना क्या था मेरी सास ने उसे काम पर रख लिया।

अब वह और मैं दोनों घर का काम करते जिससे मुझे काफी समय मिलता इस खाली समय में जिसमें मैं अपनी स्किल पर काम करना शुरू की और मैं फर्राटेदार अंग्रेजी सीखने पर भी जोड़ दिया ऑनलाइन कई कंपनी में अप्लाई किया पर कुछ नहीं हुआ कई महीने बाद मुझे एक कंपनी में जॉब इंटरव्यू के लिए बुलाया गया जैसे तैसे करके मैं वह इंटरव्यू दी पर कुछ हुआ नहीं यह बात राहुल को पता चली तो वह मुझ पर बहुत गुस्सा हुए उन्होंने कहा मैं तुमसे मना किया था। ना यह सब नहीं करने के लिए मैंने उन्हें बहुत समझाया वह मेरी बात नहीं समझे। मैं भी अपनी जिद नहीं छोड़ी और कई कंपनी में जाकर इंटरव्यू देती रही आखिरकार एक दिन मेरी जॉब लग गई

मैं बहुत खुश थी जैसे ही मैं घर आई मैंने यह बात राहुल से कहीं पर वह नाराज थे मैंने उन्हें मुस्कुराकर कहा जीने का मतलब यह नहीं कि हम अपने जीने का उद्देश्य ही भूल जाए जिंदगी एक बार मिलती है बार-बार नहीं मिलती

आत्मसम्मान से बढ़कर कुछ नहीं होता यह बोलकर मैं रसोई में चली गई। मैं रोज अपना काम निपटाकर ऑफिस चली जाया करती थी जब से मेरी नौकरी लगी है। घर के सारे लोगों ने मुझे अलग ही नजर से देखने लगे उन्हें लगता था मैं उनके विरुद्ध जाकर यह नौकरी कर रही हूं जो उन्हें पसंद नहीं था कोई मुझसे बात नहीं करते थे।पर मैं भी हार नहीं मानी उनकी सारी बातें मुस्कुराकर मानी और मैंने ठाना कि मैं घर और ऑफिस दोनों अच्छे से संभाल सकती हूं घर वाले हर रोज कुछ ना कुछ बखेरा करते जिससे मेरा मनोबल टूट जाए और मैं यह नौकरी छोड़ दूं उन्होंने घर में काम करने वाली को भी निकाल दिया ताकि घर का सारा काम का बोझ मुझ पर आ जाए और इसी में मैं उलझी रहूं ।

मेरे लिए घर और ऑफिस दोनों संभालना बहुत मुश्किल हो गया था जैसे तैसे करके मैं यह सब संभालने की कोशिश कर रही थी एक दिन राहुल घर जल्दी आ गए जब मैं घर पर आई तो मैंने देखा कि वह चुपचाप से बैठे है।

मैंने उनसे पूछा क्या हुआ तो उन्होंने जवाब दिया मुझे नौकरी से निकाल दिया गया है मैंने मुस्कुराकर बोला तो क्या हुआ मेरी नौकरी है इससे हमारा गुजारा हो जाएगा पर मैं किसी पर बोझ बनकर नहीं रहना चाहता मैं जल्द ही कोई नई नौकरी ढूंढ लूंगा तुम्हें फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है यह बोलकर चला गया।

कहीं महीने तक वह नौकरी की तलाश करता रहा एक नौकरी मिली पर उसकी सैलरी मुस्कान की सैलरी से कम थी राहुल को एहसास हुआ की चाहे कमाई ज्यादा हो या कम हो अपनी मेहनत अपनी मेहनत होती है। उसे एहसास हुआ की मुस्कान की जिद सही थी यही जिद उसे जीना सीखा रही थी हालातो से लड़ना सीखा रही थी उसे गर्व है अपनी पत्नी पर राहुल की आंखें भर आई उसने कितना परेशान किया की मुस्कान नौकरी ना करें नौकरी पाना इतना आसान नहीं होता फिर भी मैंने तुम्हें रोका उसके लिए मैं शर्मिंदा हूं मुझे माफ कर दो मुस्कान ने अपने ससुराल वालों के साथ-साथ अपने माता-पिता का भी ख्याल रखा जो उसका सपना था उसे भी पूरा किया।