रुपा

रूपा जो अपने कॉलेज की टॉपर थी बचपन से ही उसे पढ़ने लिखने का काफी शौक था। वह हमेशा अव्वल आती थी। दिखने में बहुत ही खूबसूरत थी। किसी को भी नोट्स की जरूरत होती वह सीधा रूपा के पास आता यह चीज रूपा को बहुत अच्छी लगतीं पर दोस्त बनाना हो, कहीं घूमने जाना हो या पार्टी करनी हो उसके लिए रूपा के साथ कोई भी नहीं जाना चाहता था खासकर लड़के यह चीज रूपा को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती थी क्योंकि वह बहुत ही मोटी थी। उसे ऐसा लगता था मानो उसे श्रापित किया गया हो।

एक दिन वह कॉलेज की किसी फंक्शन के लिए तैयार होकर घर से निकल रही थी उसकी मां ने उसे पीछे से टोका यह कैसे कपड़े पहने हैं। थोड़े ढीले होते तो ज्यादा अच्छा लगता । यह बात रूपा को बिल्कुल अच्छी नहीं लगी । क्योंकि वह मोटी है इसलिए ना..

उसकी मां उसे अक्सर यही कहा करती है कि वह अपने वजन पर ध्यान दें उसे कम करें पर रूपा से ऐसा नहीं होता । वह कुछ भी कर लेती उसका वजन कम नहीं होता। क्योंकि उससे भूख बर्दाश्त नहीं होती। वह कुछ ना कुछ खा ही लेती थी।

“कॉलेज खत्म होने के बाद” रूपा की शादी एक बड़े से घर में लगी। रूपा को लगता कि वह अभी इन सब के लिए तैयार नहीं है । वह किसी के सामने आना नहीं चाहती वह मजाक बनना नहीं चाहती थी। उसे शर्मिंदगी महसूस होती थी। वह लोगों को ऐसे दिखाती मानो वह बहुत खुश है। पर कभी-कभी ऐसा हो जाता मानो वो कुछ ज्यादा दिखावा कर रही है। खुश रहने का जो बिल्कुल भी पसंद नहीं आता था उसे..

शादी के बाद भी वह बहुत डरी सहमी रहा करती थी उसे ऐसा लगता था मानो पूरी दुनिया में एक वही बदसूरत हो पर ऐसा नहीं था । वह बहुत ही ज्यादा खूबसूरत थी सिर्फ उसका वजन ही ज्यादा था। लोगों के तानों से ज्यादा तो वह खुद को ही कोश्ती कि वह इतनी मोटी क्यों है..

उसकी सास ने उसे नोटिस किया की कुछ तो बात है जो रूपा सबसे छुपा रही है और अंदर ही अंदर घुट रही है । उसने उससे पूछने की कोशिश की पर रूपा ने कुछ नहीं बताया। एक बार सभी लोग टीवी देख रहे थे । उसकी सास ने रूपा को सुनाते हुए कहा..

बंटी जो रूपा का पति है वह बचपन से ही रंग का सावला था वह रिश्तेदारों दोस्तों किसी से मिलना जुलना उनके साथ घूमना फिरना नहीं चाहता था। क्योंकि वह रंग का सावला था। उसके बाकी भाई बहन रंग के गोरे थे लोग बंटी का मजाक बनाते जिससे वह लोगों से कटा कटा रहता है। मैंने उसका आत्मविश्वास बढ़ाया वह पढ़ने में बहुत अच्छा था फिर उसमें ऐसा आत्मविश्वास जगा वह अपने सांवले रंग को भूल ही गया। आज देखो कितनी तरक्की कर रहा …

अपनी सास की बातें सुनकर रूपा का हौसला बढ़ा अब वह अपने फिजिकल हेल्थ पर काफी ध्यान देने लगी साथ-साथ उसने नौकरी करने की सोची अब वह जैसी भी है खुश है। वह हर रोज मेडिटेशन , एक्सरसाइज करती है और खुद को और बेहतर बनाने की कोशिश करती…

निष्कर्ष:- हम जैसे भी हैं हमें खुद को उसी तरह स्वीकार करना चाहिए लोग कुछ भी बोले।